इस पुस्तक का लेखन लोक वित्त के बढ़ते शैक्षिक और व्यावहारिक महत्त्व को ध्यान में रखते हुए 1998 में किया गया था। पिछले बीस वर्षों में यह इतनी लोकप्रिय हो गई कि नवीन सिद्धांतों एवं परिणाम बजटिंग के बदलते परिवेश में इसके नवीकरण और परिशोधन की आवश्यकता हुई। इस चतुर्थ संस्करण में नवीनतम आँकड़ों, रिपोर्टों तथा बजट प्रलेखों के साथ सभी अध्यायों का पुनर्लेखन किया गया है। पुस्तक की भाषा सरल, स्पष्ट एवं रोचक रखने के साथ-साथ इस बात का भी ध्यान रखा गया